"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

गुरुवार, 16 जून 2016

करू आरती मन श्रद्धा से

हे कमलनाथ हे आनंदसागर
हे नंदलाला  हे बनवारी
करू आरती मन श्रद्धा से
तेरी लीला सबसे न्यारी

मिलती  है शांति तेरे चरणों में
आजा भगवन मेरे गलियों में
मिटा दे मेरे मन की पीड़ा
हे मधुसूदन हे गिरधारी

वो नटखट मेरे घनश्याम
रटता रहूं कान्हा तेरे नाम
हे बालगोपाल हे मदनगोपाल
प्रिया नाम के तू है पुजारी

हे जगन्नाथ हे मुरली मनोहर
हे गोपालप्रिया हे मुरलीधर
आ मेरे मन वृंदावन में
हे मनमोहन हरे मुरारी


झूमे नाचे धरती गगन
हे  माधव तेरे पाके दर्शन
हे ज्ञानेश्वर हे  देवकीनंदन
हे कमलनयन हे बांके बिहारी

एक ऐसा था इंसान


वो दुनियाँ के गम ले रहा था

बाँट रहा था खुशियोँ के पल
वो हंस रहा था गम ले के
पथ से हटा रहा था काँटा
और बिछा रहे थे सुमन
एक ऐसा था इंसान ……….

वो दिखा रहा था
भटके लोगो को पथ
मिटा रहे थे अँधेरा-पन
उनका इरादा बड़ा नेक था
जोड़ रहे थे  टुटा बंधन
एक ऐसा था इंसान ………..

प्रेम करते थे हर प्राणी को
वो करता था
खुद पे कभी अभिमान
दीन दुखियों की सेवा को
वो समझता था मान-सम्मान
एक ऐसा था इंसान ………..


कहते थे ! उसे जमीं का भगवान
पर वो कहता था
मै हूँ साधारण इंसान
जो बुराई को मिटाता था
सत्य से करता था प्रेम
वो बाँटता-फिरता था ज्ञान
एक ऐसा था इंसान ………..

सपनो का संसार

          भाग [1]
तक़दीर ही क्या बदली तुमने
इस जहां को ही बदल डाला
दुल्हन की तरह सजाते -सजाते
जहां को ही खंडहर बना डाला

          भाग[2]
किस्मत को अपने साथ लेकर चलो
उमंग-उत्साह के साथ आगे बढ़ो
कब मौत की पैगाम जाये
तन पर कफ़न ओढ़कर तुम चलो

          भाग[3]

काँटा है जहां फुल भी होगा
गम है जहां खुशियाँ भी होगा
कर लो सारा जहां मुट्ठी में
जाने ये कदम फिर कहाँ होगा
         
      भाग[4]
ढूंढेगा जमाना तुम्हे
बन जाओ ऐसी तस्वीर
याद करे जमाना तुम्हे
बना लो ऐसी तक़दीर

    भाग[5]
सपनो का संसार
कर ज़िन्दगी अंधकार
सुहाना शाम डूबा जा रहा
तू सागर के उस पर

वक़्त के साथ चले

खुला आंसमा में आज़ाद उड़े
आओ हम अपना तक़दीर लिखे
चले गए बचपन के दिन यारो
आओ कुछ कर दिखाने को ठाने
वक़्त के साथ चले ………..

युवा शक्ति हम देश के
विकास की नयी पथ बनाएँ
खुशहाली हो चारो ओर
इस जमीं को स्वर्ग बनाएँ
वक़्त के साथ चले ………..

न रुठेंगे तक़दीर न रुठेंगे सपने
कहते है मेहनत से
यहाँ सबकुछ मिलता है
बेवजह कोई बहाना करे
वक़्त के साथ चले ………..

आशा की डोर हम तोड़े
कर्तव्य से पीछे हटे
आओ करे खूब मेहनत
जीत की परचम लहराए
वक़्त के साथ चले ………..

अतीत भविष्य वश में
आज को बर्बाद करे
पथ की काँटों को उखाड़ फेंके
चाँद के भी पार चले
वक़्त के साथ चले ……….


सपने भी होंगे अपने एकदिन
अटल साहस अपने पास रखे
झुक जायेगा आसमान एकदिन
अंदर अपने ज्ञान दीप प्रज्वलित रखे
वक़्त के साथ चले ………….