"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

सोमवार, 30 मई 2016

ऐसी मेरी बहना


वो सुबह - शाम घर   की जलती  दीया 
रौशन कर रहा घर को मेरी बहना सिया
नजाकत से सम्भाली है रिश्तों को टूटने से
कभी  उसने रिश्तों में दरार  पड़ने दिया

नयी-नयी कोंपल सी उसमें है कोमलता
हैं ओझल नज़रों से मेरी बहना  “ममता
सूना-सूना सा लगता है घर उनके बिन
उसकी आने से घर है चहकता -महकता

कुसुम की खुशबू से महकती है
मेरे घर के  हर कोना - कोना
है थोड़ी सांवली सलोनी क्या कहना
झलकती है सादगी ऐसी मेरी बहना

मधु की झरना धरा पर , है मधुनिशा
मनभावन गुलज़ार वो है पुष्प वाटिका
 है रातरानी मेरी प्यारी बहना नीरा
कुदरत की रौनक रहें,वो  हो कभी वीरां

जिसके नूर से धरती की
एक दिन दूर होगी कालिमा
दूर गगन में चमकती रेवती
है "दुष्यंत"की प्यारी बहना

चंचल -चपल मन वो है चुलबुली
वो रंग-बिरंग सी जैसी कोई तितली
पुरवा संग झूमने वो गीत गाने चली
थोड़ी मनचली है प्यारी बहना बबली

दीप सजे आँगन में जब आये  “देविका
गायें पुरवा प्रणय राग,हो चांदनी निशा
सोंधी माटी करे उनकी पैरों को चुम्बन
है रूमानी बहारों जैसी मेरी प्यारी बहन

जूही लहके धरती महके हुआ बसंत आगमन
तेरे आने से चहक-महक उठा है घर आंगन
दुनिया में खूबसूरत हैं  भाई -बहन का बंधन
हिमांशी बहना तेरी बातें सबकी भाति  है मन

वो मेरी लाड़ली बहना सबसे प्यारी
वो हैं नन्हीं सी जैसी हो कोई परी
खिल खिलाती वो खुशियों की रवानी
वो चंचल सयानी मेरी बहना हिमानी

मंगलवार, 17 मई 2016

चाहत की निशाँ मिटायी नहीं है























खामोश है ज़िन्दगी ग़म का तूफान है  
यादों  से हलचल दिल का आसमान है  

चाहत की निशाँ  मिटायी  नहीं है मैंने  
तेरे जाने से फिर भी ज़िन्दगी विरान है  

तन्हाई ही  तन्हाई,लबों पे तेरा नाम  
दिल को तेरी  चाहत   का अरमान है   


दर्दे गम छुपा के जी रहे हैं आजकल  
खामोश चेहरा में   झूठी  मुस्कान है  

कहते थे तेरा नाम भूला देंगे सनम्  
ना भूला सके , तुमबिन परेशान है 


इस शहर में








इस शहर में दिल के काले है बहुत 
अपने धुन पे गुम मतवाले है बहुत 

कैसा ये शहर प्यासा भटके पानी को 
हर गली चौराहों में मैखाने है बहुत 

आज भी गरीबो के पास घर नहीं 
इस शहर में ऊचीं ईंमारते है बहुत 

चारोओर शोरगुल दौड़ रहा शहर 
हर शख्स अन्जान मुश्किले है बहुत 

यूँ सोचते बैठे रह चल दौड़ अब 
सोच लें जाना कहाँ रास्ते है बहुत 


बुधवार, 11 मई 2016

बुरा हैं देश का हाल









हर रोज हो रही हिंसा,फसाद
दरिन्दो,गुनाहगारो ने लगा रखे हैं नकाब !
पैसो से तौले जा रहे हैं यहाँ इन्साप
हैं क्या अदालत के पास इसका जवाब !!
देश में छायी हुई हैं संकट के बादल,
गुम हो गयी हैं न्याय के किताब !
दया, प्रेम जल के हो रहें हैं राख
छल-कपट के खुले हैं दुकान आज !!
भ्रष्टाचार फैली हुई हैं महमारी की तरह,
मुश्किल कर रखा हैं जीना मंहगाई ने आज !
सरकार को आम-जनता का फिकर हिं कहा,
अपने ताज बचाने में लगे हैं दिन-रात !!
खुल्ले आम हिंसा का खेल रोज हो रही,
चोर,अपराधियों से भरे हुये हैं जेल !
आतंक का साया आज इतना बढा हैं
डर के जी रहें हैं अपने हि घर में लोग !!
आज कि मैने देश पे मंथन ,
सरकार सोये हुये हैं,जनता हैं चुप !
बुरा हैं देश का हाल किसे खबर ,
धर्म के ठेकेदारो का किसने देखा असली रूप !!

सुरभि गाँव











चली पुरवा
झुमें सरसों फूल
सुरभि गाँव !! 1
कोयल कूके
बसंत आगमन
धरा दुल्हन !! 2
मेघा बरसे
नाचे वन में मोर
छमक छम !! 3
गंगा किनारे
बहती आस्था धारा
धर्म नगरी !! 4
जंमी हमारा
हैं गुलिस्तान जैसा
सबसे प्यारा !! 5

खुशियों से मिलन










चंचल मन नीली सलोनी आँखे
तेरी जुल्फे काली घटा सावन
तू पूरब की परी रानी है
तू रूमानी शाम का आगमन
जोबन हुई कच्ची कली तू
सौरभ मधु सी भरी तन
तुम शीतल हो हिम सी
हरघडी देखे तुझे मेरे नयन
कुसुम खुशबू लायी पुरवा साथ
ज़िन्दगी को हुई खुशियों से मिलन
गुनगुनाने लगा मै गीत सरगम
नाच रहा मोर बनके आज मन
सपनो सी लग रही जमीं
इन्द्रधनुष सा दिल का गगन
ज्योति सी उजाला ज़िन्दगी में
प्रेम रंग में रंगी मेरा आँगन
गवाह है पूनम का  चाँद
है अमिट हमारी प्रीत बंधन
दुष्यंत देख फैली हुई नुर को
मौजो से छलक रहा है जीवन

जंवा धड़कन तुमपे मर मिटी है






















जंवा धड़कन तुमपे मर मिटी है
दिल में चाहत की फूल खिली है

अब होश में नहीं पागल दिल
जबसे मैंने प्रेम सुधा पी ली है

सड़कों पर किसी दरख्त के नीचे
तेरा      इंतज़ार  हमें हर  घडी है

तुम    आई   हो तो   ऐसा  लगा
गुलिस्तान ज़िन्दगी के हर गली है

तुमसे मिलके आज वो मेरे साथी

मैंने जन्मों के बंधन   बांध ली है