भाग [1]
तक़दीर ही क्या बदली तुमने
इस जहां को ही बदल डाला
दुल्हन की तरह सजाते -सजाते
जहां को ही खंडहर बना डाला
तक़दीर ही क्या बदली तुमने
इस जहां को ही बदल डाला
दुल्हन की तरह सजाते -सजाते
जहां को ही खंडहर बना डाला
भाग[2]
किस्मत को अपने साथ लेकर चलो
उमंग-उत्साह के साथ आगे बढ़ो
कब मौत की पैगाम आ जाये
तन पर कफ़न ओढ़कर तुम चलो
भाग[3]
काँटा है जहां फुल भी होगा
गम है जहां खुशियाँ भी होगा
कर लो सारा जहां मुट्ठी में
न जाने ये कदम फिर कहाँ होगा
भाग[4]
ढूंढेगा जमाना तुम्हे
बन जाओ ऐसी तस्वीर
याद करे जमाना तुम्हे
बना लो ऐसी तक़दीर
बन जाओ ऐसी तस्वीर
याद करे जमाना तुम्हे
बना लो ऐसी तक़दीर
भाग[5]
सपनो का संसार
न कर ज़िन्दगी अंधकार
सुहाना शाम डूबा जा रहा
तू सागर के उस पर
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