"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

गुरुवार, 16 जून 2016

सपनो का संसार

          भाग [1]
तक़दीर ही क्या बदली तुमने
इस जहां को ही बदल डाला
दुल्हन की तरह सजाते -सजाते
जहां को ही खंडहर बना डाला

          भाग[2]
किस्मत को अपने साथ लेकर चलो
उमंग-उत्साह के साथ आगे बढ़ो
कब मौत की पैगाम जाये
तन पर कफ़न ओढ़कर तुम चलो

          भाग[3]

काँटा है जहां फुल भी होगा
गम है जहां खुशियाँ भी होगा
कर लो सारा जहां मुट्ठी में
जाने ये कदम फिर कहाँ होगा
         
      भाग[4]
ढूंढेगा जमाना तुम्हे
बन जाओ ऐसी तस्वीर
याद करे जमाना तुम्हे
बना लो ऐसी तक़दीर

    भाग[5]
सपनो का संसार
कर ज़िन्दगी अंधकार
सुहाना शाम डूबा जा रहा
तू सागर के उस पर

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