"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

गुरुवार, 16 जून 2016

सपने मेरी

[1]
सपने मेरी
ज़िन्दगी फुलवारी
तुम बसंत !!

[2]
पिया आये
पनघट किनारे
नैन निहाँरे !!

[3]
सावन घटा
बरसे रिमझिम
पिया भी साथ !!

[4]
हमराही तू
मै बादल आवारा
चलूँगा साथ !!


[5]
तुम दर्पण
देखू सुबह शाम
करू श्रृंगार !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें