"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

गुरुवार, 16 जून 2016

सावन रातों में तुमबिन

सावन रातों में तुमबिन तन्हा गुजारा है 

बसंत आगमन तेरा आने के  इशारा है 

तुझे याद कर कभी हँसना कभी रोना
तसव्वुर में खो जाना आदत हमारा है

तूने दी थी निशानी बिछड़ने के पहेले
पुरानी खत,तस्वीर जीने का सहारा है 

वो बचपन की बाते याद जरा कर
मेरी ज़िंदगी रंगी नदिया, तू किनारा है 

ये जाने वफ़ा लौट मेरे शहर
दिल ने तुम्हें आज फिर पुकारा है 


कौन कहता है तुम्हें भूल गये है
जुबाँ में बस एक नाम तुम्हारा है

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