"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

गुरुवार, 16 जून 2016

बरसों के बाद


बसंत का आगमन हुआ है
सरसर पुरवा चला है
ये वीरान ज़िंदगी में आज
बरसों के बाद हलचल हुआ है

पूनम का चांद निकला है
सरोवर में कमल खिला है
बरसों के बाद तुम मिले हो
ऐसा लगा खुदा मिला है

रंग रूप ताज़ा -ताज़ा है
खुशियों  की लहर चला है
मन में इंद्रधनुष सजा है
तन चंदन सा महका है

दिल -उपवन खिल उठा है
फिर तेरी जादू चला है
मन मयूरी झूम उठा है
आँगन में अमृत बरसा है

ज़िंदगी के हर गलियों में
शीतल प्रेम नदी बहा है
बरसों के बाद तुझे पा के
मुझे प्रेम धन मिला है


दिल में मृदंग बजा है
दुष्यंततेरे नाम पुकारा है
तन्हाई की शाम ढला है
ज़िंदगी से ज़िंदगी मिला है

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