"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

गुरुवार, 16 जून 2016

रंगत इंसान के

किसे पता कितने रूप है बेईमान के |
पैसा देख बदलती है रंगत इंसान के |

यहाँ पैसा ही सबकुछ नहीं , बात मानो ,
कीमत तय करो अपने ईमान के |

डर लगता है सुनसान गलियों से गुजरना ,
मुश्किल है पहचान पाना चेहरा शैतान के |

माना की आज़ादी है बोलने की यहाँ ,
पर कुछ भी बोलो सीना तान के |

धर्म ,जाति ,भाषा को लेकर करो फसाद ,
आओ सपना सकार करे हम हिन्दुस्तान के |


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