"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

गुरुवार, 16 जून 2016

और कितनी निर्भया ?

निर्भया जिन्दा है
भारत की आवाज़ बनके !
वो चिखती कह रही है ,इंसाफ चाहिए इंसाफ चाहिए !
पर न्याय कब मिलेगा 
यहाँ तो कानून अंधा है
और बहरा भी है !
फिर क्यो हमसब चुप हैं ?
युवा भारत के उबलते खून को क्या हुआ ?
और कितनी निर्भया ?
इस जुल्म को सहती रहेगी,
न्याय के लिये तरसती रहेगी !
ऐसे असामाजिक तत्व के
आखिर कब खातमा होंगी ,
या फ़िर लोग हर रोज
बस तमाशा दिखते रहेंगे !
क्यो हमसब अनदेखा कर रहे हैं !
कैसी जुल्म थमेगी ?
बस पहेली बनी हुई है ,
जो हमारी संस्कृति को कलंकित करती,
समस्या बन चुकी है !
आवाज़ उठाने भर से कुछ नहीं होता,
हमें सख्त और ससक्त कदम उठाना होगा !
तभी हर रोज हो रही भारत माँ की अनेक निर्भया
जैसी साहसी बेटियों की,
जुल्म की शिकार नहीं होगी !!


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