"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

गुरुवार, 5 मई 2016

तड़प के जी ले मगर

तड़प के जी ले मगर बेवफ़ा को मुकद्दर न बना |
हर ग़म पी के मुस्कुरा दिल को पत्थर न बना |
निगाहें शौक से किसी को अब देखा न कर |
कोरे दिल में किसी का फ़िर से तस्वीर न बना |
माना जीवन का डगर है कठिन उनके बिन यहाँ |
न रह गुमशुम ए दिल ग़म को हमसफ़र न बना |
दिखा उसे अमिट है प्यार का  बंधन जहा में |
ज़िंदगी है प्रेम की नदी इसे तू ज़हर न बना |
ये दिल तेरे साथ जो कुछ हुआ उसे भूल भी जा |
फूलों  का राह  है उसे कांटो का डगर न बना |
तूने देख लिया क्या मिला उस बेवफ़ा के प्यार से |
जहाँ न हो कोई अपना उसे ज़िंदगी का शहर न बना |

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