दिल टुटा है जीना मुश्किल हो गया है
यकीं होता नहीं ये क्या हो गया है
मेरे प्यार को किसका नज़र लग गया है
मेरे दिल का कैसा मंज़र हो गया है
ज़िन्दगी था गुलज़ार फूल खिले थे हर राह
वो खूबसूरत पल जाने कहा खो गया है
मुँह फेर ली है इस जीवन से आशा
मेरे दिल का शहर खंडहर हो गया है
"दुष्यंत" अब तो है जीवन का सफर अधूरा
मेरी ज़िन्दगी तुम्बिन तनहा हो गया है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें