"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

बुधवार, 11 मई 2016

जीना हैं मुझे आज में

नही जीना हैं कल में 
जीना हैं मुझे आज में 
आशा-विश्वास के रंग 
घोलेंगे आज पल में
कल क्या थे भूल के 
मस्ती करेंगे हरपल में 
खुशियों की बिखेरेंगे फूल 
आज ज़िंदगी की गलियों में
झुलेंगे हवाँ के साथ 
दरख्त की डाल में 
गीत गायेंगे झुमेंगे आज 
पुरवा की महकती शाम में 
कौन जाने क्या होगा कल 
जीना है मुझे आज में 
फिर ना मिलेगा ऐसा पल
हैं स्वर्ग इस धरातल में 
छोड़ दुनिया-दारी तू भी 
आ रंग जा आज में 
जैसे जीना हैं जी ले 
प्रतिब्ध न रह मोह में 

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