हिन्दी साहित्य काव्य लोक
"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "
बुधवार, 11 मई 2016
सुरभि गाँव
चली पुरवा
झुमें सरसों फूल
सुरभि गाँव !! 1
कोयल कूके
बसंत आगमन
धरा दुल्हन !! 2
मेघा बरसे
नाचे वन में मोर
छमक छम !! 3
गंगा किनारे
बहती आस्था धारा
धर्म नगरी !! 4
जंमी हमारा
हैं गुलिस्तान जैसा
सबसे प्यारा !! 5
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें