जंवा धड़कन तुमपे मर मिटी है
दिल में चाहत की फूल खिली है
अब होश में नहीं पागल दिल
जबसे मैंने प्रेम सुधा पी ली है
सड़कों पर किसी दरख्त के नीचे
तेरा
इंतज़ार हमें हर घडी है
तुम
आई हो तो ऐसा लगा
गुलिस्तान ज़िन्दगी के हर गली है
तुमसे मिलके आज वो मेरे साथी
मैंने जन्मों के बंधन बांध ली है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें