"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

बुधवार, 11 मई 2016

जबसे तुझे जाना है , चाहा है

जबसे तुझे जाना है , चाहा है
तुझे अपना ख़ुदा मैंने माना है
तू न बन बेख़बर मेरी जाँना
बचपन से हूँ मैं तेरा दीवाना
तू साथ है तो नहीं कोई ग़म
चाहत की दरिया में डूब जाना है
जबसे तुझे जाना है , चाहा है
दे जगह जुल्फों की घनेरी छाँव में
ले चल मुझे तू प्रेम के नगर में
ज़िन्दगी हैं जीना तुम्हारे साथ में
तेरे दिल को मंदिर बनाना है
जबसे तुझे जाना है , चाहा है 
ढूँढ़ती है निगाहें बस तेरी चेहरा
सागर से भी गहरा प्यार हमारा
हमसफ़र ज़िन्दगी के हर सफर में
तेरे हाथ थाम सदा चलना है
जबसे तुझे जाना है , चाहा है 
हिरनी जैसी है तेरी आँखे
कोयल सी मधुर तेरी बातें
तू ही ज़िन्दगी की तमन्ना है
तू ही ज़िन्दगी की अफसाना है
जबसे तुझे जाना है , चाहा है
भूल से भी न भूलु मैं तुझे
मैं बसा लू धड़कन में तुझे
न रहो दूर तुम खफा हो के
दर्द जुदाई अब न सहना है
जबसे तुझे जाना है , चाहा है 

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