"सपने देखना मत छोड़िए, सपने ही कल का हकीकत होता है " दुष्यंत कुमार पटेल "चित्रांश "

मंगलवार, 17 मई 2016

इस शहर में








इस शहर में दिल के काले है बहुत 
अपने धुन पे गुम मतवाले है बहुत 

कैसा ये शहर प्यासा भटके पानी को 
हर गली चौराहों में मैखाने है बहुत 

आज भी गरीबो के पास घर नहीं 
इस शहर में ऊचीं ईंमारते है बहुत 

चारोओर शोरगुल दौड़ रहा शहर 
हर शख्स अन्जान मुश्किले है बहुत 

यूँ सोचते बैठे रह चल दौड़ अब 
सोच लें जाना कहाँ रास्ते है बहुत 


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